1- सामान्य आदेश (जनरल आर्डर) तथा अन्य कागज़ात अनिवार्य रूप से द्विभाषी जारी करना :
राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3) के अंतर्गत आने वाले सामान्य आदेशों (जनरल आर्डर) तथा अन्य कागजात जैसे नियमों, अधिसूचनाओं, संकल्पों, समझौते/करार, विज्ञप्तियों आदि पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी देखें कि वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रस्तुत किए गए हैं। यदि नहीं, तो उन्हें दोनों भाषाओं में तैयार करवाया जाए।
2- 'क' तथा 'ख' क्षेत्रों को भेजे जाने वाले पत्र आदि :
यह जिम्मेदारी भी पत्रों पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों की होगी कि वे देखें कि
- 'क' और 'ख' क्षेत्रों को भेजे जाने वाले पत्र हिंदी में हों।
- हिंदी में प्राप्त पत्रों के उत्तर हिंदी में दिए जाएं।
(i) 'क' क्षेत्र की राज्य सरकारों और संघ शासति क्षेत्र के प्रशासनों से अंग्रेजी में प्राप्त पत्रों के उत्तर हिंदी में दिए जाए।
(ii) फाइलों पर कार्रवाई अधिकतर अनुभागों से शुरू होती है । अत: अनुभाग अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले या प्रवीणता प्राप्त कर्मचारी (जिन्होंने 10वीं के समकक्ष परीक्षा हिंदी विषय से पास की हो) 'क' और 'ख' क्षेत्रों को भेजे जाने वाले पत्र आदि के मसौदे हिंदी में प्रस्तुत करें और राजभाषा विभाग द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रम में निर्धारित लक्ष्य (30%) के अनुसार फाइलों पर टिप्पणी हिंदी में लिखें।
(iii) अनुभागों में रखे जाने वाले रजिस्ट्ररों में प्रविष्टियां भी हिंदी में की जाएं।
(iv) सभी फाइल कवरों पर विषय द्विभाषी रूप में लिखे जाएं।
3- लिफाफों पर पते हिंदी में लिखना :
सभी अनुभाग यह सुनिश्चित करें कि 'क' और 'ख' क्षेत्रों को भेजे जाने वाले पत्रों के लिफाफों पर पते हिंदी में लिखे जाएं। यदि लिफाफे किसी अन्य अनुभाग द्वारा बनाए जाते हैं तो उन पर हिंदी में पते लिखने की जिम्मेदारी उस अनुभाग की होगी।
4- रबड़ की मोहरे, नाम पट्ट, साइन बोर्ड, बैनर, सीलें पत्र शीर्ष, वाहनों पर कार्यालयों का विवरण, आई कार्ड, लोगो, चार्ट नक्शे आदि द्विभाषिक रूप में बनाना :
संबंधित अनुभाग यह सुनिश्चित करें कि सभी रबड़ की मोहरे, नाम पट्ट, साइन बोर्ड, बैनर, सीलें पत्र शीर्ष, वाहनों पर कार्यालयों का विवरण, आई कार्ड, लोगो, चार्ट नक्शे अंग्रेजी और हिंदी यानी द्विभाषी रूप में हों जिसमें हिंदी का फॉन्ट अंग्रेजी भाषा से ऊपर एवं बड़ा होना चाहिए। संबंधित विभागाध्यक्ष/अधिकारी/विभाग/अनुभाग भी सुनिश्चित करें कि ये सब द्विभाषिक रूप में हो।
5- कंप्यूटरों की खरीद और हिंदी साफ्टवेयर उपलब्ध कराना :
राजभाषा विभाग के दिशा निर्देशों के अनुसार मंत्रालय के सभी कंप्यूटरों में अंग्रेजी के अलावा हिंदी में भी काम करने की सुविधा होनी चाहिए । कंप्यूटरों पर हिंदी प्रयोग के लिए केवल यूनीकोड एनकोडिंग का प्रयोग किया जाए।
6- हिंदी पुस्तकों की खरीद :
राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेशों को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित करें कि वित्तीय वर्ष में फॉरन जर्नल्स और मानक संदर्भ ग्रंथों को छोड़कर कुल छोड़कर कुल पुस्तकालय अनुदान का 50% हिंदी पुस्तकों जिसमें हिंदी ई-बुक, सीडी/डीवीडी, पेन ड्राइव और अंग्रेजी तथा भाषाओं से हिंदी में अनुवाद कराने पर किया गया खर्च शामिल है, की खरीद पर किया जाए।
7- सेवा पंजियों (सर्विस बुक) में प्रविष्टियां :
जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी वर्गों के अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा पंजियों में हिंदी में प्रविष्टियां करने की जिम्मेदारी संबंधित संबंधित अनुभागों की और उस पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी की होगी।
8- विश्वविद्यालय की द्विभाषी वेबसाइट :
संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट द्विभाषी हो और उसे समय-समय पर अद्यतन किया जाता रहे ।
9- राजभाषा नियम, 1976 के नियम 6 के अनुसार ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों का उत्तरदायित्व है कि वे यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसे दस्तावेज हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों में ही तैयार किये जाएं ।
10-उल्लंघन की स्थिति में राजभाषा नियमों में दिये गये प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी ।